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एक उद्यमी

डॉ श्रीनुबाबू गेदेला एक प्रतिष्ठित उद्यमी हैं, जिन्हें साल २००७ में ओमिक्स इंटरनॅशनल प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना कर अपनी उद्यमी यात्रा शुरू की। साल २००७ में प्रतिष्ठित मानव प्रोतिओम संगठन (हु यु पी ओ) ने "युवा वैज्ञानिक" पुरस्कार से डॉ गेदेला को सम्मानित किया। यह सम्मान, मधुमेह की शुरुआती चरणों की पहचान पे किये गये उनके अग्रणी शोध के लिए दिया गया था। डॉ गेदेला ने साल २००७ में, २५ वर्ष की आयु में, आंध्र विश्वविद्यालय से पी एच डी प्राप्त की, इसके बाद उन्होने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पोस्ट डॉक्टरेट का अनुभव भी लिया। डॉ गेदेला सन २०१५ एवं २०१७ में सर्वोत्तम युवा उद्यमी घोशित हुये थे और २०१७ मे उन्हे अप्रतिम ग्लोबल लीडर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

ओमिक्स इंटरनॅशनल प्राइवेट लिमिटेड की शुरुवात के पीछे, डॉ श्रीनुबाबू की पी एच डी के दौरान आई हुई कठिनाइयां हैं, जहां उन्हें उच्च लागत वाली वैज्ञानिक जर्नलो तक पहुंचने में जिन्होने उन्हे कई बाधाओं का सामना करना पड़ा था। इन्हीं बाधाओं ने उन्हे प्रतिबद्ध किया कि वो कुछ ऐसा करें जिससे कि वैज्ञानिक साहित्य हर किसी को सुलभता से प्राप्त हो सके। डॉ श्रीनुबाबू का मानना है कि मौजूदा वैज्ञानिक साहित्य, वैश्विक प्रकाशकों के नियंत्रण में है, जिसकी वजह से विकासशील देशों के शोधकर्ताओं के साथ अन्याय हो रहा है। डॉ श्रीनुबाबू का उद्देश्य है कि दुनियाभर के शोधकर्ताओं को वैज्ञानिक साहित्य नि:शुल्क प्रदान किया जाए।

ओमिक्स ग्रूप जोकि २००७ में एक एकल ओपन-एक्सेस जर्नल के साथ शुरू हुआ था, आज लगभग १००० वैज्ञानिक व हेल्थकेयर पत्रिकाएं छापता है, जो कि नैदानिक विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, अभियांत्रिक एवं प्रौध्योगिक विज्ञान, प्रबंधन, व जीव विज्ञान जैसे क्षेत्रों से सरोकार रखती हैं। ये समस्त पत्रिकाएं सालाना ५०,००० से अधिक वैज्ञानिक शोध लेख प्रकाशित करती हैं।

सन २०१६ में ओमिक्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (ओ आई पी एल) ने पल्सस हेल्थटेक का अधिग्राहण किया, जो कि एक कनाडाई चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल प्रकाशक है। वर्तमान में पल्सस हेल्थटेक अपना संचालन लंदन, सिंगापुर, चेन्नई, गुड़गांव, एवं हैदराबाद से कर रहा है। इकटठे, ओमिक्स और पल्सस ग्रूप मिलके ५००० से अधिक कर्मचारियों को रोजगार प्रदान करते हैं, जिनमें से ७५% महिलाएं हैं। ओमिक्स और पल्सस ग्रूप हैदराबाद, चेन्नई, और दिल्ली में छह एस ई जेड इकाइयों में फैले हुए हैं। । इसके अतिरिक्त, पल्सस ग्रूप हैदराबाद, विशाखापट्नम, और नोएडा में अपने आई टी / आई टीई एस कैंम्पस, लाइफ साइंसेज स्किल डेवलपमेंट कैंम्पस, वैज्ञानिक व हेल्थकेयर सूचना अनुवाद केंद्र स्थापित कर रहा है।

उद्यमी यात्रा

विशाखापट्नम में वैज्ञानिक साहित्य की कमी की वजह से डॉ श्रीनुबाबू गेदेला अपने डॉक्टरेट अध्ययन के दौरान, अपने शोध के लिए वैज्ञानिक साहित्य जुटाने के लिये, विशाखापट्नम से हैदराबाद (७०० किलोमीटर) हर एक दो महीने में जाया करते थे।

२००७, दक्षिण कोरिया के एच यू पी ओ द्वारा आयोजित युवा वैज्ञानिक पुरस्कार समारोह के अपने भाषण में डॉ गेदेला ने विकसित / विकासशील देशों के शोधकर्ताओं के लिए अपनी चिंता व्यक्त की। डॉ गेदेला का मानना है कि विकसित / विकासशील देशों के शोधकर्ता सरलता से वैज्ञानिक साहित्य प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने एच यू पी ओ समिति को बताया कि वार्षिक-मूल्य आधारित पत्रिकाओं की लागत बहुत अधिक है, प्रत्येक लेख की लागत $ ५0-५७ है, जो कि एक विकसित / विकासशील देश के शोधकर्ता के लिये बहुत ज़्यादा है, वे लोग इतनी राशि वैज्ञानिक साहित्य के लिए खर्च नहीं कर सकते।

इसी युवा वैज्ञानिक पुरस्कार समारोह के दौरान, एच यू पी ओ के सदस्यों के समर्थन के साथ, उन्होंने जर्नल ऑफ प्रोटिओमिक्स एंड बायोइनफॉरमैटिक्स नामक अपनी पहली ओपन-एक्सेस पत्रिका की शुरुवात की।

इसके उपरांत, डॉ गेदेला स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों की मदद से पोस्ट डॉक्टरेटके लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय चले गए। पत्रिकाओं में वृद्धि हुई, ओपन-एक्सेस पत्रिकाएं दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हजारों की तादाद मे पहुंच रही थीं। इस सब से ओपन-एक्सेस पत्रिकाओं को कर्षण मिला, साथ ही पाठक भी लाखों की तादाद मे बढ़ गये।

ओमिक्स ने अपने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं वैज्ञानिक कार्यक्रमों को तेजी से विस्तारित किया। आज ओमिक्स हर साल, ४० देशों में ३००० से अधिक चिकित्सा एवं वैज्ञानिक सम्मेलनों का आयोजन करता है, जोकि २००,००० से ज़्यादा शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों के लिए वैज्ञानिक चर्चाओं के मंच हैं। ये वैज्ञानिक सम्मेलन महत्वाकांक्षी युवा विद्वानों को ऐसा मंच प्रदान करते हैं जहां वे विश्व स्तरीय वैज्ञानिक एवं व्यावसायिक पेशेवरों के साथ संभाषण कर सकते हैं।

अपने पिछले ९ सालों के शानदार विकास के दौरन ओमिक्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ने मुख्य रूप से यूरोप, कनाडा, यू एस ए, एवं रूस से प्रकाशन और वैज्ञानिक सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों के क्षेत्रों में कई छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों का अधिग्राहण किया है। २०१६ में ग्रूप ने दो कनाडाई वैज्ञानिक प्रकाशनों, पल्सस एवं अंड्रू जोहन का अधिग्राहण किया। आज ओमिक्स एवं पल्सस मिलके ५०००+ लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।

इसके अलावा, समाज कि उन्नति के लिये, डॉ श्रीनुबाबू गेदेला अब वैश्विक वैज्ञानिक साहित्य का अन्य विदेशी भाषाओं जैसे जापानी, रूसी, चीनी, जर्मन इत्यादि में अनुवाद करना चाहते हैं। साथ ही साथ, डॉ गेदेला वैज्ञानिक साहित्य के भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, तेलुगु, गुजरती, तमिल, बंगाली आदि में अनुवादन के लिये भी हितबद्ध हैं। उनका मानना है कि इस परियोजना के पूरे हो जाने पर भारत ज्ञान के लिए एक वैश्विक केंद्र बन जाएगा और दुनिया का हर व्यक्ति अपनी स्थानीय भाषाओं में स्वास्थ्य देखभाल की पूरी जानकारी प्राप्त कर पाएगा।

लक्ष्य एवं उद्देश्य

अनुसंधान मे भाषा बाधाओं को दूर करना। अपनी पसंदीदा भाषा में दुनिया के दूरस्थ कोनों में स्वास्थ्य देखभाल और वैज्ञानिक जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराना। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए डॉ गेदेला ग्रूप, प्रारंभ में उत्तर प्रदेश सरकार के समर्थन के साथ ग्रेटर नोएडा में स्वास्थ्य देखभाल और कृषि सूचना अनुवाद केंद्र स्थापित कर रहा है। के पी एम जी / गूगल के रिपोर्ट के अनुसार वर्ष २०२०-२०२१ तक ५५० करोड़ भारतीय इंटरनेट पे अपनी ज़रूरी जानकारी के अन्वेषण के लिये, स्थानीय भाषाओं का उपयोग करेंगे। ये अनुवाद की गई जानकारी करोड़ों भारतीय, विशेष रूप से किसानों को कृषि विकास मे अपने ज्ञान को अद्यतन करने के लिये उपयोगी होगी। वे अपनी पसंदीदा भाषा में अपना ज्ञान कृषि फसलों, बागानों, फलों के बाग, मुर्गी पालन, या अन्य पशुधन के विकास के लिए अद्यतन कर पाएंगे। इससे ग्रामीण और शहरी भारतीयों को अपनी पसंदीदा भाषा में स्वास्थ्य देखभाल जानकारी निःशुल्क मिलेगी। ज्ञान शक्ति है, ग्रामीण भारतीय आवश्यक सावधानी बरतकर अपनी स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति में वृद्धि कर सकेंगे।

व्यापार का उद्देश्य

भारतीय क्षेत्रीय भाषाओँ के एप्स लोकप्रिय बनें और अगले ३ वर्षों में ५५० मिलियन उपयोगकर्ताओं तक पहुंच पाएं।

क्षेत्रीय भाषा में विषय सूचि बनाने के लिए भाषा उपकरण सशक्तिकरण।

स्थानीय भाषा उद्योग ऑनलाइन और ऑफलाइन क्षमता को जोड़ सके; इस क्षेत्र में १० अरब डॉलर से अधिक की जगह है।

अकेले डिजिटल विज्ञापन २०२० तक $ १.५ बिलियन के बराबर होगा।

मीडिया उद्योग

- ऑनलाइन ट्रैफ़िक विज्ञापन उद्योग का ध्यान आकर्षित करना।

- ब्रांडिंग

- उद्यमिता को बढ़ावा देना।

- निजीकृत विषय-सूची, क्षेत्रीय भाषा उपभोक्ताओं के लिए सदस्यता सेवाएं।

डिजिटल विषय-सूची का विकास, रचनात्मक क्षेत्रों के विकास को आगे बढ़ा रहा है।

जीव विज्ञान एवं फार्मास्यूटिकल विज्ञान कौशल विकास कैंपस

कौशल विकास केंद्र देश के युवाओं को विविध कौशलो के साथ सशक्त बनाने की पहल है जो उन्हें अपने कार्य वातावरण में अधिक नियोक्ता और अधिक उत्पादक बनाता है।

भारत में आज ६५% युवा कार्यरत आयु वर्ग में हैं। यदि इस जनसांख्यिकीय का लाभ उठाने का कोई तरीका है, तो इसे युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से होना चाहिए जो कि न केवल अपने व्यक्तिगत विकास में मदद करें बल्कि देश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दें। उन्नत वाद्य यंत्रों पर अपने कौशल विकास के अंतर को पूरा करने के लिए पल्सस समूह भारत में पल्सस जीव विज्ञान एवं फार्मास्यूटिकल विज्ञान कौशल विकास सेन्टर स्थापित कर रहा है। पल्सस एंड ओमिक्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और इसकी सहयोगी कंपनियां ४० देशों में वैज्ञानिक, कृषि और स्वास्थ्य देखभाल सम्मेलन आयोजित करती हैं और ५०००+ कर्मचारियों के साथ छह विशेष आर्थिक क्षेत्र (एस ई जेड) इकाइयों से परिचालन करती हैं।

पुरस्कार

 

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